मंगलवार, 18 अप्रैल 2017

राणी पद्मिनी गौरवगाथा {रजवट रो साखी -केसरियो } मदन सिंह राठोड़ सोलंकिया तला

राणी पद्मिनी गौरवगाथा {रजवट रो साखी -केसरियो } मदन सिंह राठोड़ सोलंकिया तला


रजवट रौ साखी-केसरियौ
----------------------------
राणी पदमणी
(अतुकांत कविता)
मदनसिंह राठौङ सोलंकिया तला
-----------------------------
कुण मिटा सकै?
ऊजळा आखर इतिहास रा
कुण गाळ सकै
गरब 
प्रणधारी पातळ रौ 
गौरा अर बादळ रौ
उण पदमण रौ
उण मीरा रौ।
कुण बुझा सकै
जलहलती 
जौहर री जोतां
कुण मेट सकै
रजवट री लून्ठी रीतां।

ओ ऊभौ !
जुग जुग रौ साखी आडावळ
जिण निज आंख्यां सूं देखी
परझलती अगनी री झालां
भाटे-भाटे अर 
खाडे-खाडे 
हर हर री हूंकार साथै
बाजतां त्रम्बालघम्म !
जिणरै गौरव सूं गरबीजै
साकै रौ साखीधर-चित्तौङ
चंदो आभौ अर 
सैंस किरणा रै साथै सूरज।

सहल री वा सैनाणी
सीस कटियोङौ साख भरै
हूंकार हाडी राणी री
पत राखी पातळ पाणी री।
मेदपाट रै माथै माथै
जौहर री जोतां जागी ही
पदमणियौं
उण अगनझाळ में
रजवट री रीतां राखी ही।

पदमण रौ साखी-चित्रकूट
पदमण रौ साखी- ओ सूरज
धरती अर आभो 
पदमण री पवितरता री
साखी मेवाङी माटी है
साखी हळदीघाटी है।

रजवट रौ साखी-केसरियौ
जौहर री ज्वाळा धधकी ही
चित्रकूट रौ वौ सरणाटौ
अजलग नी टूटौ....!!!
नीं टूटौ म्हारा बीर!

गौरव रा गीत मिटावण वाळौ
पदमण री प्रीत झुठावण वाळौ
थूं कुण है?
कठासूं आयौ?
आज कींकर माथौ दूखै है?
तूं भूल गयौ 
भारत नै भाया
फसियोङौ भ्रमजाळ में
पईसां रै पम्पाळ में
डूब्योङौ आकंठ...
या तूं दूजो राघव चेतन है !

जद हिमाळौ गळ जासी
गिरनारै जेङा गरबीला
आबू जेङा उड जासी
तोही
उण पदमण री
अर सीता री
रजवट रीतां राखैला
प्रिथमी बातां पोखैला।

   (बसंत पंचमी रै दिन)
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
            रचयिता
मदनसिंह राठौङ सोलंकिया तला
     व्याख्याता(राजस्थानी)

1 टिप्पणी