बुधवार, 3 मई 2017

श्री कृष्ण से राजा शालिवाहन तक यदुवंशिओ की वंशावली भाटी, जाडेजा,जादोन, सरवैया,चूड़ासमा

 श्रीकृष्ण से आगे यदुवंशियों की उपशाखाओं की वंशावली

46 राजा श्रीकृष्ण :

(क) रानी रुक्मणी से इनके पुत्र राजकुमार
प्रधुमन गृहयुद्ध में इनके जीवनकाल में प्रभास में मारे गए ये, यह राजा नहीं बने ।
राजकुमार प्रधुमन के पुत्र थे -

(1) राजकुमार अनिरुद्ध :- यह अपने
पिता के साथ प्रभास में मारे गए
थे । राजा नहीं वने । इनके कोई
पुत्र नहीं था । '

(2) राजकुमार वृजनाभ : यह अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् मथुरा से द्वारिका जाते हुए मार्ग में मर गए ।
यह भी राजा नहीं बने। इनके -
वंशज, करौली और बोघोर के
'जादव' (जादोन) हैं ।

(3) राजकुमार खीर : इनके वंशज सौराष्ट्र में हिन्दू जाड़ेचा"  सिन्ध  प्रदेश में "मुसलमान जाड़ेचा’ हैं । इन्हें
'जाडेचा जाम' भी कहतेहैं ।

(ख) राजकुमार साम्ब : श्रीकृष्ण की रानी सत्यभामा से पुत्र । साम्ब के वंशज सिन्ध हिन्दू और मुसलमान
प्रदेश के 'सम्मा या समाएचा कहलाए है ।
इन्हें सिन्ध प्रदेश में 'मुसलमान जाम' और
सौराष्ट्र में "हिन्दू जाम' कहते हैं ।

इनके दूसरे वंशज हैं गुजरात' सौराष्ट्र के"चूडासिया यादव व चूडासम्मा ।

 राजा व्रजनाभ के पुत्र वज्रनाभ का राज्याभिषेक
मधुरा में किया गया । इनके पाँच पुत्र थे, राजकुमार
,, प्रतिबाहु' बाहुबल, प्रतिवसु, उग्रसेन और सूरसेंन।
 2,राजा प्रतिबन्दु (प्रथम) . इनकी कोई राजधानी नहीँ
रहीं । इनके कोई पुत्र जीवित नहीं रहने से इनके छोटे
भाई उग्रसेन इनके गोद आकर राजा बने ।

3. राजा उग्रसेन :-इनकी भी स्थाई राजधानी नहीं थी
इनके कोई पुत्र जीवित नहीं रहने से छोटे भाई सूरसेन इनके गोद जाकर राजा बने ।

4- राजा सूरसेन: इनकी भी कोई राजधानी नहीं थी ।
इनके कोई पुत्र जीवित नहीं रहने से इनके बडे भाई
बाहुबल के पुत्र नाभबाहु इनके गोद आकर राजा वने ।

5. राजा नाभबाहु : इनके चार राजकुमार थे :

1. राजकुमार सुबाहु : यह अपने पिता के
पश्चात् राजा वने ।

(2) कुमार चूड्डासम्मा : इनके वंशज सौराष्ट्र के
"चूड़ासमा, कहलाए।

3. कुमार सरवैया : इनके वंशज जूनागढ
(सौराष्ट्र)   के 'सरवैया है

कुमार जादव : इनके वंशज गिरनार
(सौराष्ट) के 'जादव' है ।

पेशावर 6. राजा सुबाहु : पलायन के बाद यदुवंशियों की पहली
नई राजधानी पेशावर थी । इनके चार कुमार थे :

(1) रानी ज़सलेखा तक्षक के पुत्र राजकुमार
राजसेन यह जपने पिता के बाद से
शासक वने ।

(11) कुमार सहदेव ।

111 कुमार खीर : इनके वंशज  ' चूड़ासमा' और गिरनार के 'सरवैया कहलाये । इन्हें सामूहिक रुप से सौराष्ट्र मै जादम भोमिया कहते है ।

4.कुमार यदुभाण या जदभांण:- डीग, करौली ,बेहेड़ा में इन्हें जदभाण यादव या जादव (जादोन) कहते है । यथार्थ में चूड़ासिया, चूड़ासमा, सरवैया,जादव, सभी राजा नाभबाहु के वंशज है ।आगे पीछे किसी अन्य के वंशज नही है ।
 7.पेशावर:-राजा राजसेन, पेशावर में राजां बने ।

पेशावर, 8. राजा गजबाहु पेशावर से राजा वने । इन्होंने
आखातीज, रविवार, युधिष्ठिर संवत् 308 के दिन
गजनी की स्थापना की और अपनी राजधानी
पेशावर से आगे गजनी ले गए ।

गजनी, 9. राजा प्रतिबाहु : यह गजनी में राजा बने, परन्तु बाद गज़नी छोड़कर राजधानी वापस पेशावर ले जानी
पडी ।

पेशावर 10. राजा दत्तबाहु : पेशावर में राजा वने ।

पेशावर 1 1. राजा बाहुबल : पेशावर में राजा बने ।

पेशावर 12. राजा सुभैव (प्रथम) : पेशावर में राजा बने ।

पेशावर 13. राजा देवरथ (प्रथम) : पेशावर में राजा बने ।
इनके युवराज उगत्तसेन का देहान्त इनसे पहले हो
गया था, इसलिए इनके पश्चात् इनके पौत्र कुमार
पूथ्वीसहाय राजा वने ।

पेशावर 14. राजा पृथ्वीसहाय पेशावर में राजा बने ।

पेशावर 15. राजा महीपाल : पेशावर में राजा वने ।

पेशावर, 16. राजा मर्यादपति : पेशावर में राजा बने । बाद में राजधानी पेशावर से गजनी ले गए ।

गजनी 17. राजा स्वायतसेन (प्रथम) : गजनी में राजा बने ।
गज़नी 18. राजा सूरसेन (द्वितीय) : गजनी में राजा बने ।
इनके दूसरे पुत्र मंडमराव के वंशज देवपाल के
'मेवाती' है । अब यह सब मुसलमान हैं ।

गजनी 19. राजा उदयपसेन : गजनी में राजा बने। इनके दूसरे पुत्र पालसेन के वंशज मदनपाल और विजयपाल के
भरतपुर  के "सिनसिनवार जाट' है ।
इन जाटो को मेवात में 'उदयक्ररण जाट' कहते हैं ।

गजनी 20: गजनी में राजा वने, परन्तु आधा राज्य
हार गए! इनके तीसरे पुत्र इन्द्रजीत के वंशजो ने भारत के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र पर शासन किया ।
 गजनी 21. राजा कनकसेन (प्रथम) : गजनी में राजा बने ।
गजनी 22. राजा सुगमसेन गजनी में राजा वने ।

गजनी, 23. राजा मगवनजीत : गजनी में राजा बने, परन्तु बाद राजधानी गजनी से पीछे मथुरा ले गए ।

मधुरा 24. राजा कुरुतसेन : मथुरा में राजा बने ।

मथुरा 25. राजा भगबानसेन : मथुरा में राजा बने ।

मथुरा 26. राजा विदुरथ : मथुरा में राजा बने ।

मधुरा, 27. राजा विक्रमसेन : मथुरा में राजा बने। गजनी पराजित होकर अपनी राजधानी मधुरा से आगे लाहौर
ले गए ।

लाहौर 28. राजा कुमुदसेन : लाहौर में राजा वने ।

लाहौर 29. राजा ब्रजपाल : लाहोर के राजा बने । राजा कुमुदसेन के युवराज राजसेन का देहान्त उनसे पहले  हो जाने के कारण उनके पौत्र कुमार बृजपाल उनके बाद से राजा बने ।

लाहौर 30. राजा वज्रजीत ८ लाहौर में राजा बने। यह राजा ब्रजपाल के तीसरे पुत्र थे ।

लाहोर 31. राजा मूर्तिपाल लाहोर में राजा बने। यह राजा
वज्रजीत के पाँचवें पुत्र थे ।

लाहोर 32. राजा रुक्मसेंन  लाहोर में राजा वने ।

लाहौर 33. राजा कनकसेन (द्वितीय) लाहोर के राजा वने ।
लाहोर, 34. राजा उतरासेन :- लाहोर में राजा वने। गजनी पर अधिकार करके अपनी राजधानी लाहोर से जागे
गजनी ले गए ।

गजनी 35. राजा स्वायत्तसेन (द्वितीय) : गजनी में राजा बने ।

गजनी 36. राजा प्रतसेन (प्रथम)  गजनी में राजा बने।

गजनी 37. राजा शमसैन या रामसेन : गजनी में राजा बने ।
गजनी 38. राजा सहदेव : गजनी में राजा बने ।

गजनी 39. राजा देवसवाय :-गजनी में राजा बने, परन्तु बाद मे राजधानी गजनी से पीछे मथुरा ले गए ।

 मथुरा:- 41 ,राजा सूर्यदेव अपने पिता राजा शंकरदेव के जीवनकाल में ही मथुरा में राजा बने ।
 मथुरा 42. राजा प्रतापसेन ८ मथुरा में राजा बने ।

मथुरा, 43. राजा अवनिजीत : मथुरा में राजा बने । बाद
लाहौर अपनी राजधानी मथुरा से आगे लाहौर ले गए ।

लाहौर' 44. राजा भीमसेन (प्रथम) लाहौर से राजा वने । बाद गज़नी जीतकर अपनी राजधानी आगे व्हा
लाहोर ले गए, किन्तु बाद में गजनी में पराजित होने पर बापस पीछे लाहौर लौट जाए ।

लाहोर 45- राजा चन्द्रसेन (प्रथम) लाहोर म ैंरांजा बने! इन्होंने गजनी पर पुन अधिकार कर लिया ।

लाहौर 46 राजा जगस्वात्त : लाहौर में राजा बने । यह राजा चन्द्रसेन के तीसरे राजकुमार थे । इनसे की युवराज
भोजराज और राजकुमार करण ने गजनी के युद्ध से
' वीरगति पाई ।

लाहौर 47. राजा बैण ८ लाहोर में राजा बने ।

लाहौर, 48. राजा देवजस लाहोर में राजा बने, बाद से अपनी  राजधानी लाहौर से पीछे मथुरा ले गए । इनके कोई पुत्र नहीं होने से इन्होंने राजा जगस्वात के पुत्र
काकुलदेव के पलते, मूलराज क्रो गोद लिया ।

मथुरा 49. राजा मूलराज (प्रथम) : मथुरा में राजा बने ।

मथुरा 50. राजा रायदेव मथुरा में राजा बने ।

मथुरा 51. राजा सतूराव इनके कोई पुत्र नहीं होने से इन्होंने काकुलदेव के परिवार से देवनन्द को गोद लिया ।

मथुरा, 52. राजा  देवनन्द : मधुरा से राजा वने, बाद में अपनी  राजधानी मथुरा से जागे लाहौर ले गए ।

लाहोर, 53. राजा जगभूप  लाहोर में राजा बने । वाद से अपनी  राजधानी बापस लाहौर से पीछे मथुरा ले गए ।

मथुरा 54. राजा बुद्ध मथुरा में राजा बने ।

मथुरा 55. राजा रोहिताश : मथुरा में राजा बने ।

मथुरा 56. राजा प्रत्तसेन (द्वितीय) : मथुरा में राजा बने ।

मथुरा 57. राजा मोहतनजी : मथुरा में राजा बने ।

मथूुरा 58. राजा वसुदेव  मथुरा से राजा बने ।

मथूरा 59. राजा अलभाण मथूुरा में राजा वने ।

मथुरा 60. राजा वीरसेन  मथुरा से राजा बने ।

मथुरा 61. राजा सुभेव (द्वितीय) : मधुरा से राजा बने ।
 मथुरा 62. राजा सूरतसेन मथुरा से राजा बने ।

लाहौर  63. राजा गुणपयोद ८ इनका राज्याभिषेक मधुरा के बजाय लाहोर में कीया गया ।

लाहोर 64. राजा जगमाल लाहौर में राजा वने । इनके सबसे   छोटे पुत्र खड़गसी जाट कहलाये ।

लाहोर 65. राजा भीमसेन (द्वितीय) : लाहौर से राजा बने ।

लाहोर 66. राजा त्तेजसी (तेजपाल) : लाहौर ने राजा वने । यह राजा भीमसेन के पौत्र थे , इनके पिता युवराज
अमरसी का देहान्त राजा तेज़सी से पहले हो गया
था ।

लाहोर 67. राजा भूपतसेन : लाहौर में राजा वने ।

 लाहोर 68. राजा रसानृप लाहौर में राजा बने । इनके ग्यारहवें एवं सबसे छोटे पुत्र कुमार रतनसी ने गजनी पर
के अधिकार करके यहीं अपना पृथक राज्य स्थापित
 कर लिया ।

लाहौर 69. राजा चन्द्रसेन (द्वितीय) : लाहोर से राजा वने ।

लाहौर 70. राजा मूलमण लाहौर में राजा बने ।
लाहौर 71. राजा लालमण : लाहौर से राजा बने ।
लाहोर 72. राजा सारंगदेव : लाहौर में राजा बने ।

लाहौर 73. सजा देवरथ(द्वितीय) : लाहोर से राजा वने ।

लाहोर 74. राजा जसपत : लाहौर में राजा  बने।
लाहोर 75. राजा जगपत : लाहौर से राजा वने ।

लाहोर, 76. राजा हैंसपत : लाहोर में राजा वने। लाहौर मेँ
पराजित होकर इन्होंने वि. सं. 02, कार्तिक सुदी दूज' गुरुवार, (सन् 055 ई-पू) से हिसार बसाया और नई राजधानी स्थापित की । इनका देहान्त वि.स- 046 (011 है पू) से हिसार से हुआ ।

हिसार 77. राजा दिवाकर : बि. सं. 046 से 079 (011
ई पू से ०23 ई) हिसार में राजा वने ।

हिसार 78. राजा भारमल  वि. सं. 279 से 095 (सन 0323 से 039 ई. )हिसार में राजा वने ।

हिसार 79. राजा खुमाण वि. सं. 095 से 126 (सन 039 से 070 ई) हिसार ने राजा वने ।
 हिसार 80. राजा अर्जुनसेन : वि. सं. . 126 से 152 ( सन 070-096)हिसार में राजा बने ।

हिसार 81. राजा जुजसेन : वि. सं, 152 से 170 (सन 096 से 113 ई.), हिसार में राजा बने ।

हिसार 82. राजा गेनलाम : वि. सं. 170 से 198 (सन
113 से 142 ई.) है हिसार में राजा बने ।

हिसार 83. राजा पद्यरिझशेन : वि सं. 198 से 210 (सन
142 से 154 ई) हिसार में राजा बने, परन्तु साधारणतया यह अपने सम्राट की राजधानी पेशावर में उनकी सेवा में दरबार में रहते थे ।

हिसार, 84. राजा गजसेन : वि. सं. 210 से 251 (सन्
गज़नी 154- 194 ई.), हिसार में राजा बने । बाद मेँ अपनी राजधानी हिसार से गजनी ले गए, परन्तु बि. सं.
251 (सन् 194 ई-) में गजनी के पहले शाके में इन्होंने वीरगति पाई और साथ में गज़नी भी इनके अधिकार से निकल गई ।

शालिवाहनपुर - 85. राजा शालीवाहन (प्रथम) : वि. सं. 251 से 284
 (सन 194 से 227 ई) । इन्होंने गज़नी त्यागकर लाहोर के पास शालिवास्तपुर में नई राजधानी ' स्थापित की।वाद में इन्होंने गजनी पर पुन:अधिकार कर लिया! इनके पन्द्रह राजकुमार थे जिन्होंने पंजाब और भारत के उत्तरी पहाडी क्षेत्रो में पृथक- पृथक राज्य स्थापित किए ।

जय श्री कृष्ण
सन्दर्भ ग्रन्थ -गजनी से जेसलमेर (हरिसिंह भाटी)
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36 टिप्‍पणियां

  1. mall rajputo ke bare me detail me batane ki kripya kare jo Madhuban(Mau) u.p me the

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    1. असली भगवान श्री कृष्णा बलराम के वंशज बुंदेलखंड मालवा में आज भी है जादौन भाटी जडेजा शुद्र बंजारा है जो ऊट भेड़ बकरी चराने वाले हैं

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  2. hello jai shri krishna bro kripya karkeye bataiye ahir kha se aye aur ve krishna ji ko apna vansaj batate hai vo hi kya jyadatar up hariyana me sabhi log inhe hi vansaj samanjhte hai mai up se rawal bhati hu

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    1. Shree Krishna ji ki vansavali mai kisi ne bhee Yadav ya Rajput title Nhi lagaya hai, ha Jat title jarrur lagaya hua hai Lahore ke Raja Jagpal ke chhote bete Khadgasi Jat kahlaye, aur udap singh ke dusre bete Palsingh Ke vansaj Sinsinwar Jat kahlaye, iska malab shree Krishna jat the, aaj Mathura mai sabse jyada population jato ki hai, nandgaon bhee jat bahul hai

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    2. Us samay jat nahi vartman me Jo jat hai vo unke vanshaj hai

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  3. उत्तर
    1. Pagal,jadeja muslim hai, bhaati bargala hai,saama dynasty muslim dynasty thi.1335 mai bani or 1524 mai khatam.bhati marwar mai bhulo ka gotra hai.va yaduvansh ke. Itihas mai koi bahari. Sabar nahi milta.jhoot bhi bolne sikh lo.

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    2. श्री कृष्ण चंद्रवंशी क्षत्रिय हैं जो आगे चल कर राजपूत कहेये यादव yadava एक शीर्षक था/अब ये भाटी/भाटिया, जडेजा, जादों आदि हैं .आज जो अपने को यूपी और हरियाणा में अपने को यादव कहते हैं वो असल में अहीर ग्वाला हैं।

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  4. Aisa koi bhi likh sakta hai ya likh sakta tha. Sher k itihas me shikari nahin hota agar sher khud likhne baithe to.

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  5. Jo itna pavitra yadav nam chhodkar koi any upnam laga le ye ho ho nahin sakta. Sara managadant hai.

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    1. जादौन भाटी जडेजा शुद्र बंजारा ऊंट भेड़ बकरी चराने वाले असली यदुवंशी भगवान श्री कृष्ण के वंशज जो आज के यादव अहीर नाम से जाने जाते हैं बुंदेलखंड मालवा में पाए जाते हैं

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    2. अबे साले उल्टा चोर कोतवाल को डांटे आज भी तूमलोग शुद्ध में आते हैं

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  7. *अहि कह सर्प इर जो मारे, कह अहीर जब सर्प संघारे।*
    *प्रभु आज्ञा यदु सर्प संघारा, तब यदुवंश अहीर पुकारा।।*
    जब यदु को ययाति ने अपने राज्य से निकाल दिया। तब घने जंगलों से होते हुए यदु सौराष्ट्र व सिंधु के तरफ मार्ग में घने जंगलों में विष्पर्वा नामक नाग का वध किये। जिससे इनको भगवान विष्णु ने "अहीर" की उपाधि दी जिसका अर्थ होता है सर्प का शत्रु अथवा समाज मे व्याप्त विशैले शत्रुओं का नाश करने वाला। यही "अहीर" उपाधि भगवान श्रीकृष्ण को कालिया नाग के मर्दन के समय दिया गया।
    जो यदुवंशी हैं अपने को यादव अहीर बोलते हैं न कि राजपुत।
    राजपुत की उत्तपत्ति के बारे में फ़िरिश्ता या फ़ेरिश्ता पूरा नाम मुहम्मद कासिम हिन्दू शाह जो फ़ारसी भाषा के इतिहासकार ने लिखा है कि जब मुगलों का मन उनकी रानियों से भर जाता था। तब मुगल अपने हरम में पड़ी हुई राजपुत कन्याओं(दासियों) से शारीरिक सम्बन्ध बनाते थे। इन्ही राजपुत कन्याओं (दासियों)से पैदा होने वाले बच्चों का नामकरण राजपुत हुआ।
    حمّد قاسِم ہِندُو شاہہ‎‎ قاسِم ہِندُ ہِندُو شاہہ‎‎ قاسِ ہِندُو شاہہ‎‎ قاسِم ہِندُ ہِندُو شاہہ‎‎ قاسِ

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    1. Tu kaun hai re jhutha Ahir kutte sale Kya bolrha hai Rajput to Ahiro ke baap hai

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    2. Tu kaun hai re jhutha Ahir kutte sale Kya bolrha hai Rajput to Ahiro ke baap hai

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    3. राजपुत की उत्तपत्ति राजाओ द्वारा दासियों के शरीरिक शोषण से उतपन्न वंशावली है। जो 7वीं सदी के बाद या यूं कहें कि हर्षवर्धन के बाद बनायी गयी।
      लेकिन राजपुतों के इतिहास में उत्कर्ष मुस्लिमों और मुगलों ने के काल में हुआ। जब सभी राजपुत अपने बहन बेटियों का विवाह मुस्लिमो और मुगलो से करके बहुत इनाम प्राप्त किये।

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    4. Ap kaun se rajput Ki bat karte hai barma loghe ki ye kshtriy rajputane ki

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    5. Abe barma rajput kaun aa gaye kya rajputo ki najayaj auladen hai kya

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  8. अकबर के शासनकाल में कुल 34 शादियां हुई राजपूतों और मुगलों के बीच, जहांगीर के वक्त कुल 7, शाहजहां के वक्त 4 और औरंगजेब के वक्त कुल 8 शादियां हुईं.

    1562 से 1707 तक मुगलों और राजपूतों के बीच हुए प्रमुख वैवाहिक संबंध-

    1- जनवरी 1562, अकबर ने राजा भारमल की बेटी से शादी की. (कछवाहा-अंबेर)

    2-15 नवंबर 1570, राय कल्याण सिंह ने अपनी भतीजी का विवाह अकबर से किया (राठौर-बीकानेर)

    3- 1570, मालदेव ने अपनी पुत्री रुक्मावती का अकबर से विवाह किया. (राठौर-जोधपुर)

    4- 1573, नगरकोट के राजा जयचंद की पुत्री से अकबर का विवाह (नगरकोट)

    5-मार्च 1577, डूंगरपुर के रावल की बेटी से अकबर का विवाह (गहलोत-डूंगरपुर)

    6-1581, केशवदास ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर से किया (राठौर-मोरता)

    7-16 फरवरी, 1584, राजकुमार सलीम (जहांगीर) का भगवंत दास की बेटी से विवाह (कछवाहा-आंबेर)

    8-1587, राजकुमार सलीम (जहांगीर) का जोधपुर के मोटा राजा की बेटी से विवाह (राठौर-जोधपुर)

    9-2 अक्टूबर 1595, रायमल की बेटी से दानियाल का विवाह (राठौर-जोधपुर)

    10- 28 मई 1608, जहांगीर ने राजा जगत सिंह की बेटी से विवाह किया (कछवाहा-आंबेर)

    11-पहली फरवरी, 1609, जहांगीर ने राम चंद्र बुंदेला की बेटी से विवाह किया (बुंदेला, ओर्छा)

    12-अप्रैल 1624, राजकुमार परवेज का विवाह राजा गज सिंह की बहन से (राठौर-जोधपुर)

    13-1654, राजकुमार सुलेमान शिकोह से राजा अमर सिंह की बेटी का विवाह(राठौर-नागौर)

    14-17 नवंबर 1661, मोहम्मद मुअज्जम का विवाह किशनगढ़ के राजा रूप सिंह राठौर की बेटी से(राठौर-किशनगढ़)

    15-5 जुलाई 1678, औरंगजेब के पुत्र मोहम्मद आजाम का विवाह कीरत सिंह की बेटी से हुआ. कीरत सिंह मशहूर राजा जय सिंह के पुत्र थे. (कछवाहा-आंबेर)

    16-30 जुलाई 1681, औरंगजेब के पुत्र काम बख्श की शादी अमरचंद की बेटी से हुए(शेखावत-मनोहरपुर)

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  9. भारत का कोई प्राचीन वंशावली राजपुत से सम्बंधित नही है। न ही श्रीराम की न ही श्रीकृष्ण की। क्योकि राजपुत जाति की उत्तपत्ति 7वी सदी में हुई। जिसमे इतिहास के अनुसार सीथियन जनजाति,हूण खानाबदोश, कुछ आदिवासी और कुछ शुद्र जातियों के वंशजो को मिलाकर राजपुत नामकरण किया गया। उसके बाद आबू पर्वत पे यज्ञ के अग्नि से सबका शुद्दीकरण करके विलय किया गया।

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    1. Apki jankari ke liye bata du ki rajput to ap jese log raja ke bete ko rajput kahne se pada lekin unka Dharm to kstriya satyug se h or aj tk h or tum jese log jinki chtrachaya me jite ho unki hi burai karte ho kstriya Dharm ki jai

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    2. Jo log ye kehte he rajput ki utappati 6 7 satabdi me hui he un gwar zahil se ek bat puchana chaunga rajput chand pe se akar ram or krihsn or arjun ke vansaj or jitne bhi kshtriya vansaj the dwapar ke unse unka raj kaise chin liya....na to ram vansh ke raja kamzor the na krishn na arjun ke kisi bhi vansh ke kshyriya kamzor nahi the fir un dwapar tertayug ke rajao ka kya hua wo log kaha chale gaye??? Abe gwar zahilo bahart jiska nam kani aryavart or jambudup tha us time sankrot chalti thi or rajao ko rajan kaha jata tha rajan sbd se raja ka utappati hua he..dwapar jise matri matashree pitashree pitamah mitra brata bola jata tha wo badal kar ma mummy papa dost bhai sbd ban gaye ab salo tumlog kahoge ki apap sbd ka utappati mummy sbd ka utappati 1500 isvi me hui he iska ye matlab nahi ki usse pehoe kisi ka ma bap nahi tha...sale zahailo rajao ke vansh jo dwpar me rajan kehlete the unke putra rajputra rajkumar kehlate the or unke hi vansajo ko gaddi singhasan milihe pidhi dar pidhi kalug me bharta me hindi bole jani lagi or bhasa ne naye naye sbd banaye jo ki sanskrit ka hi badla hua rup je rajao ke putra ya rajao ke vansaj ko rajput kaha gaya he jise rajao ka singhasan milta tha rajya milte the....raja 10 20 sadiya karte the or unke bache rajputra kehlate the or wahi rajputra rajput me badal gaya...put ka matlab bacha hota he or raja ka matalb to zahilo tumlogo ko bhi pata hi hoga raja ka put rajput kehlaya rajput koi ek jati nahi he kai jatiyiyo or vansh se mila hua samuh he jise rajput kaha jata he isme suryavshi yaduvshi puruvanshi rabi rajao ka vansh samil he ...warna tumlog hi bata do ram ke vansaj kaha gayab ho gaue krohsn ke bete pote ka vansaj kaja chala gaya arjun ke vansaj kaha gaye or unke rajya virasat kidhar chal gaye...agar jankari je to batao bematlab ka naya naya chutoyo ka itihas padh ke ajate ho apna dimag he to istemal kyu nahi karte tumlog...jin chandravshiyo rajao je adhi se jada dharti pe raj kiya unse koi bahar se akar raj chin liya tumlog yahi kehna chate ho na to ek bad batao agar rajputo ne ram krohsn arajun har ek rajao se unka rajya chin liya to sbase bade kshatiya kaun huye? Yani rajputo ke samne koi nahi tika...magar tum chutiye log se ek sawal agar rajput ne har vansh se unka rajya chin hi liya to un hare hue vansajo se khud ko kyu jorega rajputo ke liye ye garav ki bat hogi ki rajputo ne ram krihsj arajun jaise lshtriyo se sbkuch chin liya or ram krohsn arjun ke vansajo ke liye sharam ki bat he ki jinhone adhi duniya jit li rajputo se har gaye ...magar aisa kuch nahi he na hm unhi vansh ke rajput he rajputo ne kisi vansh se kuch nahi china he balki rajao ke vansh hi rajput kehlaye he sabd balta raha he...jise log pehle baghsar kehte he ab baksar hogya isi tatah bhut se sabd janme he bharat me bhasa badlne se...warna bhai agar rajput sbi vedik kshariyo se sbkuch chin hi lete to apni pehchan se jite or garav se kehte ki har kshtriyo ka bap he rajput magar bhai log har vansh chahe ram krohsn arjun ho unke hi vansajo ko rajao ko kalug me 6 sabdi me rajao ke putra ya rajput sbd se jana gaya he....or raja jitne the bade bade rajputane me samil he chahe kisi vansh kul ka ho raj karne wala vansh hi rajput kehkaya he...or bharat me raj hamesa suryavshi chandravshiyo ka hi raha he..or unke hi vansaj rajput kehlate he...

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    3. Bhai muje ek baat bata, bhagwaan ram or krishna ye raja the, humare pass proof hai ke hum inke vanshaj hai, hum to 1947 tak raja hi the, ap log inke vanshaj ho to bakriya kyu charane lage? Khacchar kyu bane? Bhagwaan ram se leke 1947 tak humara hi raaz tha, tum kehte ho hum rajput 7 vi sadi baad aaye to ap log tb se bharat ki aazadi tak kha gayab ho gye? Na apki koi history me naam hai bas ithihaas churana hai, rajput se itni jalan kyu jawab do, humare baap dada jb videshon se lad rahe the tb ap ke baap dada kha chupe the?
      Ram or krishna ke vanshaj ho to batao?

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  10. भाटी बेशक श्री कृष्ण के वंशज हैं ।

    तुम जैसे गधों को क्या पता गंगाजल क्या होता हैं ।

    जरा जैसलमेर महारावल साहब की अंतिम यात्रा विडियो देख लेना ,

    तुम्हारे लोकतंत्र की कोई वैल्यू नहीं

    जय श्री कृष्ण
    जय राजपुताना

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    1. Fir rajput bane tum sab abe gadhho krishn bhavan ne kabhi apane aap ko Rajput nahi kaha sirf yadav kahate the

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    2. Lakin kah bhi kya sakate hi tum sab rajput ho to rajput hi kaho yadav to hai nahi tum sab ki jati.. bhagvan krishn ki mukhy jati yadav thi..aur tum sab ki mukh jati rajput hai..upjati bhati jadeja jadaun hai.. bhagvan krishn ki jaati yadav thi aur varn kshatriya ..

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    3. Kabhi Shri Krishna serial dekhana.usame krishn ki jati yadav dikhaya Gaya hai..agar tum sam jam unar khan ki aulado se puchha jayega ki tum sab ki kya jati hai to rajput batate ho..kyo nahi yadav batate.. yadav title kyo nahi likhate

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    4. Ahir se rajput ban gaye log yahi kahate hai lekin ye galat ye sab muslmano se rajput bane hai

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  11. इतिहास का ककहरा भी नही आता तुम्हे।

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  12. Vanaras me har sal sawan ke pahale somwar ko yadav jalabhishek karte hai vishvanath mandir me agar asali yadav tum sab ho to kyon nahi aate jal chadane..mathura ke agal bagal tumhare banjare bhai jadaun hai unlog ko bhej diya karo..mar ke brahman bhaga dege banjaro ko.bas yahi nahi balki kae jagah mandiro me yadav ahir pahale jate hai.. Tirupati Balaj.me.banaras me hi nati imali hai jahan bhagvan Ram ke rath ko sabse pahle Yadav hi uthate hai.. yadav banane ke liye sabse pahle Yadav likhana suru karo Tum log

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  13. उपरोक्त जादौन,जडेजा,भाटी, चूड़ासामा, जाधव, सर्विया की वंशावली सही नहीं है शुरू से लेकर आखिर तक कहीं भी मिलान नहीं खाती

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  14. उपरोक्त टिप्पणी मैंने डाली है जो भगवान श्री कृष्ण का वंशज हूं।
    राजेंद्र पाल सिंह जादौन

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