तेजमाल जी रामसिंहोत भाटी के गुणगान
पंथी एक संदेसड़ो तेजल नैं कहियाह !गिरधरदान रतनू दासोड़ी
किणी कवि सही ई कैयो है कै जे प्रीत उत्तम सूं लाग ज्यावै तो कदै ई बोदी नीं पड़ैज्यूं पत्थरी सौ वरसां तक जल़ में रैवण पछै ई अग्नि रो साथ नीं छोडै -प्रीत पुराणी नह पड़ै जे उत्तम सूं लग्ग।
सौ वरसां जल़ में रहे पत्थरी तजै न अग्ग।।
ऐड़ो ई एक गीरबैजोग किस्सो है भाटी तेजमाल अर रतनू हरपाल रो।
जैसलमेर री धरा माथै रामसिंह भाटी सपूत अर सूरमो मिनख ।इणां एक ब्याव अमरकोट रै सोढै जोधसिंह री बेटी करमेती सूं कियो ।करमेती आपरी कूख सूं पांच सूरमां नै जन्म दियो - करमेती कुंती जिसा जाया पंडव जैस।
अखो तेजो नैं ऊदलो दुरजन नै कानेस।।
इण पांचूं ई भायां में तेजमाल महाभड़ अर क्षत्रिय गुणां सूं मंडित पुरुष।सनातनी संबंधां नैं टोरण री अखंड आखड़ी ।तेजमाल री टणकाई री बातां चौताल़ै चावी।एकर सिरुवै गांव रै पाखती रै गांव चीचां रा दो चींचा रतनू अर दो इणां रा रिस्तेदार जिकै बरसड़ा जात रा हा। कोई काम सूं गुजरात गया जठै मुसलमानां रै हाथां मारीजग्या ।उणां मरती वेला बैते बटाऊ नै एक दूहो सुणायो अर भोलावण दीनी कै तेजमाल भाटी नैं कै दीजै। कै दो चींचा अर दो बरसड़ा इण गत रणखेत रेयग्या -
पंथी एक संदेसड़ो तेजल नैं कहियाह
दो चाचा दो वरसड़ा रणखेतां रहियाह।।
सतधारी बटाऊ सीधै आय तेजमाल नैं आ बात बताई ।तेजमाल रा भंवारा तणीजग्या । शरीर खावण लागग्यो। महावीर अजेज चढियो अर जाय रतनुवां रो वैर लियो ।कवि प्रभुदान देवल पेमावेरी रै आखरां में -
वैर रतनू तणो सेह धणी वाल़ियो
पाल़ियो वचन ज्यां राव पाबू।
आवता लूटवा देस उसराण रा
कटक सब वैहता किया काबू।।
महावीर तेजमाल सूं महारावल़ जसवंतसिंह शंकित रैवण लागा।तेजमाल ई मारको वीर सो किणी री गिनर नीं करै।महारावल़ नैं लोगां भरमाया कै तेजमाल गढ कब्जै कर र रावल़ बण सकै।आपसी कजियै सूं राड़ इती बधी कै छेवट हाबूर मे महारावल री सेना अर तेजमाल रै भिड़ंत हुई जिण में तेजमाल रै घणा घाव लागा अर रगत परनाला छूटा।बचण री आश नीं रैयी जद इण शूरमे आपरै हाथां आपरै लोही सूं माटी पिंड बणाय पिंडदान कर वीरगति वरी ।इण लड़ाई में सिरुवै रो रतनू हरपाल ई साथै हो।हरपाल ई वीर अर अडर पुरुष।महारावल आदेश दियो कै कोई भी तेजमाल रो दाह संस्कार नीं करैला। हरपालजी आदेश नैं गिणियो अर हाबूर रै भाटियां री सहायता सूं दाह संस्कार कियो ।अठै महारावल़ अर तेजमालजी रै मिनखां बिचै दाह संस्कार सारु .हुई लडाई में दो झीबा चारण ई काम आया ।रतनू हसपाल री वीरता विषयक ओ दूहो घणो चावो है -
झीबां पाव झकोल़िया उडर हुवा अलग्ग।
पह रतनू हरपाल़ रा प्रतन छूटा पग्ग।।
महारावल़ कन्नै खबर गई कै इणगत रतनू हरपाल मांडै तेजमाल रो दाह संस्कार कियो।दरबार आदेश दियो कै म्है कोई दूजो कदम उठाऊं उण सूं पैला हरपाल़ जैसलमेर छोड दे।रतनू हरपाल़ तुरंत जैसलमेर छोड भिंयाड़ कोटड़ियां कन्नै गया परा।
क्रमशः
सौ वरसां जल़ में रहे पत्थरी तजै न अग्ग।।
ऐड़ो ई एक गीरबैजोग किस्सो है भाटी तेजमाल अर रतनू हरपाल रो।
जैसलमेर री धरा माथै रामसिंह भाटी सपूत अर सूरमो मिनख ।इणां एक ब्याव अमरकोट रै सोढै जोधसिंह री बेटी करमेती सूं कियो ।करमेती आपरी कूख सूं पांच सूरमां नै जन्म दियो - करमेती कुंती जिसा जाया पंडव जैस।
अखो तेजो नैं ऊदलो दुरजन नै कानेस।।
इण पांचूं ई भायां में तेजमाल महाभड़ अर क्षत्रिय गुणां सूं मंडित पुरुष।सनातनी संबंधां नैं टोरण री अखंड आखड़ी ।तेजमाल री टणकाई री बातां चौताल़ै चावी।एकर सिरुवै गांव रै पाखती रै गांव चीचां रा दो चींचा रतनू अर दो इणां रा रिस्तेदार जिकै बरसड़ा जात रा हा। कोई काम सूं गुजरात गया जठै मुसलमानां रै हाथां मारीजग्या ।उणां मरती वेला बैते बटाऊ नै एक दूहो सुणायो अर भोलावण दीनी कै तेजमाल भाटी नैं कै दीजै। कै दो चींचा अर दो बरसड़ा इण गत रणखेत रेयग्या -
पंथी एक संदेसड़ो तेजल नैं कहियाह
दो चाचा दो वरसड़ा रणखेतां रहियाह।।
सतधारी बटाऊ सीधै आय तेजमाल नैं आ बात बताई ।तेजमाल रा भंवारा तणीजग्या । शरीर खावण लागग्यो। महावीर अजेज चढियो अर जाय रतनुवां रो वैर लियो ।कवि प्रभुदान देवल पेमावेरी रै आखरां में -
वैर रतनू तणो सेह धणी वाल़ियो
पाल़ियो वचन ज्यां राव पाबू।
आवता लूटवा देस उसराण रा
कटक सब वैहता किया काबू।।
महावीर तेजमाल सूं महारावल़ जसवंतसिंह शंकित रैवण लागा।तेजमाल ई मारको वीर सो किणी री गिनर नीं करै।महारावल़ नैं लोगां भरमाया कै तेजमाल गढ कब्जै कर र रावल़ बण सकै।आपसी कजियै सूं राड़ इती बधी कै छेवट हाबूर मे महारावल री सेना अर तेजमाल रै भिड़ंत हुई जिण में तेजमाल रै घणा घाव लागा अर रगत परनाला छूटा।बचण री आश नीं रैयी जद इण शूरमे आपरै हाथां आपरै लोही सूं माटी पिंड बणाय पिंडदान कर वीरगति वरी ।इण लड़ाई में सिरुवै रो रतनू हरपाल ई साथै हो।हरपाल ई वीर अर अडर पुरुष।महारावल आदेश दियो कै कोई भी तेजमाल रो दाह संस्कार नीं करैला। हरपालजी आदेश नैं गिणियो अर हाबूर रै भाटियां री सहायता सूं दाह संस्कार कियो ।अठै महारावल़ अर तेजमालजी रै मिनखां बिचै दाह संस्कार सारु .हुई लडाई में दो झीबा चारण ई काम आया ।रतनू हसपाल री वीरता विषयक ओ दूहो घणो चावो है -
झीबां पाव झकोल़िया उडर हुवा अलग्ग।
पह रतनू हरपाल़ रा प्रतन छूटा पग्ग।।
महारावल़ कन्नै खबर गई कै इणगत रतनू हरपाल मांडै तेजमाल रो दाह संस्कार कियो।दरबार आदेश दियो कै म्है कोई दूजो कदम उठाऊं उण सूं पैला हरपाल़ जैसलमेर छोड दे।रतनू हरपाल़ तुरंत जैसलमेर छोड भिंयाड़ कोटड़ियां कन्नै गया परा।
क्रमशः
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंNice information sir
जवाब देंहटाएंdhanyvad
हटाएंNohadi musalman ke bare me Kuch jankari ho to likhane ki kirpiya karna
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