सोमवार, 15 मई 2017

लाख पसाव करोड़ पसाव जानिये कींन किन राजाओं ने कितने पसाव दान दिया और पसाव की कितनी वेल्यू होती थी

*पसाव*
-चारणों ने रजपूतों की कीर्ति बढ़ाने में कसर नहीं रखी है उनके इनामों के भी लाखपसाव, किरोड़पसाव और अरबपसाव नाम रख रख कर दरजे बढ़ा दिये और नजीर के वास्ते कई राजों को चुन रखा है जैसे कहते हैं कि अजमेर के राजा बठराज गौड़ ने अरबपसाव दान दिया था । आमेर के महाराजा मानसिंघ ने 6 किरोड़ पसाव दिये । बीकानेर के राजा रायसिंघ ने सवा किरोड़ और सिरोही के राव सुरतान ने किरोड़ पसाव दिया था । उत्तम मध्यम 5 हजार रुपये का सिरोपाव लाखपसाव, इससे दूना किरोड़ पसाव और किरोड़ पसाव से जियादा अरबपसाव कहलाता है । मगर सासन गांव सबके साथ होते हैं । जोधपुर के तो हरेक महाराजासाहिब जब पाट विराजे हैं चारणों को लाख पसाव देते रहे हैं । महाराजा श्री जसवंतसिंघजी ने भी राजतिलक के समय कविराजमुरारदानजी को लाख पसाव दिया था । 6/337-8. -लाख पसाव का अर्थ एक लाख रूपयों के इनाम से है जो भाट-चारणों को राजा देते हैं । यह पुरस्कार नकद रूपये में नहीं दिया जाता है किन्तु हाथी, घोड़े, ऊंट, रथ, रत्न, जमीन व धान आदि के रूप में दिया जाता है । इन सबका मूल्य साधारणतया 30 हजार रूपये के होता है लेकिन फिर भी यह ‘लाख पसाव’ ही कहलाता है । 2/153. -‘ख्यात से पाया जाता है कि महाराजा जसवंतसिंह के समय ‘लाख पसाव’ के नाम से केवल 1500 ही मिलते थे । यह माना है कि गजसिंह के समय ‘लाख-पसाव’ का मूल्य 2500 के स्थान में 25000 होना चाहिये, पर इस रकम का घटता हुआ क्रम देखकर तो मानना पड़ता है कि उस स्थान पर दिये हुए 2500 ही ठीक है ।’ 3/471. 
-महाराजा अभयसिंहजी ने मेवाड़ के सूलवाड़ा गांव के चारण कवि करणीदान कविया को ‘विरद श्रंगार’ पुस्तक के लेखन पर प्रसन्न होकर उसे लाख पसाव तथा अलावास गांव और कविराजा की उपाधि दी । 2/131.
-महाराजा अभयसिंघजी कविया करणीदान को लाख पसाव देकर जोधपुर से मंडोर तक जहां उसका डेरा था पहुंचाने के वास्ते पधारे थे -‘अस चढि़यो राजा अभो, कवि चाढ़े गजराज । पोहर अेक जलेब में मोहर बुहे महराज ।1। 6/337.
-महाराजा गजसिंह ने सिंहासनारूढ़ होने के बाद उसने तीन बार चांदी का तुलादान किया - पहला वि.सं. 1680 (ई.स.1623), दूसरा 1681 (ई.स. 1624) तथा तीसरा (श्रावणादि) 1690 (चैत्रादि 1691 - ई. स. 1634) में । वह विद्धानों, चारणों, ब्राह्मणों, आदि का अच्छा सम्मान करता था । उसने चारणों, भाटों आदि को सोलह बार ‘लाख-पसाव’ और 9 हाथी दिये थे । ख्यात से पाया जाता है कि एक लाख पसाव के नाम से 2500) दिये जाते थे । 3/411.
-बाहर के सम्मान पानेवाले व्यक्तियों में मेवाड़ के दधवाडि़या खींवराज (खेमराज) जैतमालोत तथा सिरोही के आढ़ा दुरसा के नाम उल्लेखनीय है । इन्हें लाख-पसाव के अतिरिक्त हाथी, तथा क्रमशः राजगियावास (परगना सोजत) वि.सं. 1694 कार्तिक सुदि 9 (17 अक्टोबर, 1637) को और पांचेटिया (परगना सोजत) गांव वि.सं. 1677 (ई.स. 1620) में मिले थे । 3/412.
-महाराजा जसवंतसिह ने कई अवसरों पर ब्राह्मणों, कवियों, चारणों आदि को गांव, सिरोपाव, अश्व इत्यादि देने के साथ ही उसने ‘आड़ा किशना दुरसावत’ तथा ‘लालस खेतसी को लाख-पसाव दिये । 3/470.
-महाराज जसवंतसिंघजी लोहाईरा डेरां संवत् 1698 रा आसोज सुद 10 बाईस घोड़ा चारणांनूं नै सिरदारांनूं दिया, दोय लाख पसाव दिया, अेक लालस खेतसीनूं, दूजेरो आढ़ा किसनानूं । 15/30.
-महाराजा मानसिंह ने ‘महामंदिर’ की प्रतिष्ठा वि.सं. 1861 की माघ वदि 5 (20 जनवरी, 1805) को वणसूर जुगता को लाख-पसाव, ताजीम ओर पारलाऊ गांव दस हजार रूप्ये की आमदानी का दिया । 2/150.
-महाराजा मानसिंहजी नेे डिंगल भाश्ष के महाकवि बांकीदासजी, जो जयपुर के कविश्वर पदमाकर के साथ शास्त्रार्थ में विजयी हुए थे उन्हें वि.सं. 1870 (ई.स.1813) में प्रसन्न हो उन्हें ‘कविराजा’ पदवी, ताजीम, जागीर और लाख पसाव में एक गांव चवां (लूनी जंकसन) और डोहली दिया । महाराजा मानसिंह ने बाद में इन्हें एक और लाख पसाव दिया । महाराजा को आम दरबार में अपमान सूचक खरी खरी सुनाने के कारण बांकीदासजी को तीन बार देश-निकाला भी हुआ । 2/153.
-महाराजा तख्तसिंहजी ने बाघजी भाट (अहमदनगरी)को लाख पसाव दिया । 2/170.
-सवाई राजा गजसिंहजी ने 14 कवियों को लाख पसाव दिये - 1. भाट गोकुलचंद ताराचंदोत, 2. चारण भादा अज्जा कृष्णावत, 3. चारण आडा दुर्सा मेहराजोत, 4. चारण बारहट राजसी अखावत, 5. भाट मपोहर, 6. चारण संडायच हरिदास बाणावत, 7. चारण कविया पचाण, 8. चारण महड़ू कल्साणदास जाडावत, 9. चारण दधिवाडि़या जीवराज जयमलोत, 10. बारहट राजसी प्रतापमालोत, 11. चारण केसा मांडण, 12. सामोर हेमराज, 13. चारण कविया भवानीदास नाथावत, और 
14. कृष्ण दुर्सावत । 2/117.
-उदयपुर के महाराणा जगतसिंघजी अपनी ड्योढ़ी से सौ सवा सौ पांवड़े बाहर तक आये थे -मूंधियाड़ के कवि करणीदान को लेने के लिये - ‘करनारो जगपत कियो, किरत काज कुरब । मनजिन धोको ले मुओ, शाहदिलीश सरब ।’ 6/337.
जैसलमेर री ख्यात अनुसार 67. भीमसेन ‘भाट’ ने क्रोड़ पसाव दीयौ । 5/21. 
-126. राजा तेजपालजी क्रोड़ पसाव दीनो भाट साण नै, गढ़ लाहोर । 5/28.
-76. राजा मरजादपति भाट जेहल ना सात क्रोड़ पसाव दीनोै । 5/23.
-170. रावळ लांझोजी विजेराज लुद्रवे बहुत दातार हुवो ।धार परण गयो जठै सवा क्रोड़ को त्याग बांटियो । भाट नाढ़ाजी ने क्रोड़ पसाव दीनों 5 गांव पांच सांसण दीना, 2 भटनेर के परगने 3 देरावर के परगने । छड़ी अर सुखपाल बगसी, तंबू अर जाजम बगसी सं. 1195 । दूजा कवीयां नै सात सांसण दिया । 5/44.
-83. राजा मघवान जैतजी ने भाट अंगद नै लाख पसाव दीनौ, मथुरा सुथान । 5/24.
-172. रावळ जैसल संवत् 1212 सावण सुद 12 अदीतवार मूल नक्षत्र गढ़ जैसलमेर की नींव दीनी । किलो थाप्यो राजस्थान बांध्यो । भाटों ने नामा मंडाय लाख पसाव दीयो भाट टीकमदास नै । ग्राम दोय दीना, नात यांकोहर, भदड़ीयो । हाथी चढ़ाय हवेली पहुंचाया । कुरब भी दीनो, छड़ी तंबू जाजम बगसी । 5/47.
-193. रावळ हरराजजी पाट बैठा सं. 1618 । हरराजजी लाख पसाव दीनोै भाट गोपाळदासजी नै गांम मंडा नुं घोड़ा 10, ऊंट 11, तंबू, बछायत, बंदूक, तरवार, कटारी 2, सिरोपाव 30 आभुषण सहित हुवौ, दूजौ रोकड़ संवत् 1620 की साल,जैसलमेर थान । 5/72.
-199. रावळ अमरसिंघजी पाट बैठो संवत् 1716 की साल । लाख पसाव दीनौ भाट वेणीदासजी नै -घोड़ा पांच, ऊंट पांच, सिरपाव, आबूखण सिहेत 22, हाथी 1 रुपिया नवसौ रोकड़ा । 5/78.
-206. रावळ गजसिंघजी पाट बैठा संवत् 1876 फागण वद 5 । यां चारणां भाटां नेै लाख पसाव दीया । 5/86.
-राजा रामचंद वीरभांणरो वडो दातार हुवो, दांन च्यार कोड़ दिया- 1 कोड़ नरहर महापात्रनूं, 1 कोड़ चत्रभुज दसौंधीनूं, 1 कोड़ भइया मधुसूदननूं, 1 कोड़ तानसेन कलावंतनूं । 10/122. 
-बाधूगढ़ राजा रामचंद वीरभांणरो वाघेलो वडो दातार हुवो । च्यार कोड़पसाव एक दिन किया- नरहर महापात्रनूं, अेक भइया मधुसुदन नरहररो पुत्र जिणनू,............, कलावंत मियां तानसेननूं.....। 15/133.
-जाम ऊनड़ साढ़ा तीन करोड़ रुपियांरो सिंघासण छत्र दे सात ही सिंध सूदा कवी सांवळनूं दिवी । 15/122.
-मेवाड़ के प्रसिद्ध ख्यात एवं वंशावलियों के लेखक बड़वा देवीदान के वंशज हरिराम एवं रामदान 1930 ई. में महाराणा को अपनी पोथी सुनाने आये, जिन्हें बागोर हवेली के सत्कारालय में ठहराया गया । इस अवसर पर महाराणा ने इन्हें हाथी, घोड़ा, मोतियों की माला स्वर्ण आभूषण, सिरोपाव एवं 500 रुपये दान में दे कर हाथी पर बिठा कर बागोर हवेली तक विदा किया । -विश्वमभरा पृ. 37, वर्ष-18, अंक-3-4, 1986.
-मूळीरै धणी सोढ़ै रतन ऊंगा -आंथवियां ताईं मीसण परबतनूं कोड़पसाव दियो । पचास लाख नगद, पचास लाखरो भरणो नै लाख रुपियांरो माल नवैनगर बाई सोढ़ीनूं मेलियो । 15/180.
-राजा रायसिंघजी बारट संकरनूं सवा कोड़ दीवी जद पांडसर साजनसर दोय गांव तांबापतर दिया बीकानेररा -‘करमचंद करसो किसूं, अन धन जोड़ अपार,नवी जग खाटो नहीं, ले जासो की लार ।’ 15/75.
-रासीसर सांखलो खीमसी रायसलरो बेटो रहै । रायसलरौ खीमसी चरूंसूं गाळ गाळ जिण वीठूनूं दोयड़ पसाव दिया, पोळपात थापियो । 15/139.

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