आज़ाद भारत के सबसे बड़े इतिहासकार नहीं रहे।
जो स्वयं एक इतिहास थे, एक आंदोलन थे, बैखोफ थे, बेलाग थे, एक सभ्यता व संस्कृति के ध्वज वाहक थे, तो सही के लिए अंतिम दम तक अपनी बात पर टिकने वाले व्यक्तित्व थे।
वे एक ऐसे पत्रकार भी थे जो अपनी मर्ज़ी के मालिक थे, मूढी थे,बिकाऊ नहीं थे तो किसी की चमचागिरी में अपनी कलम को रगड़ते भी नहीं थे । राजस्थानी भाषा व संस्कृति की चलती फिरती डिक्शनरी थे, आकाशवाणी के प्रसिद्ध वाचक थे तो वे अनेक अखबारो के प्रसिद्ध स्तंभकार थे, संघ शक्ति के लम्बे समय तक रहे सम्पादक थे तो इस आयु में भी आज राष्ट्रदूत अख़बार व मेगजिन जिनके बिना अधूरा था।
वे भू स्वामी आंदोलन के प्रणेताओ में से एक थे तो ज़ैल यात्री भी थे। वे कँवर आयुवान सिंह जी व तन सिंह जी के साथी थे तो बड़ों में बड़े व बच्चों में बच्चे थे।
सच कहूँ तो वे पता नहीं क्या क्या थे,,, पर यह सच है जैसे वो थे वैसा कोई और नहीं था।
मूर्द्धन्य इतिहासकार, बेख़ौफ़ पत्रकार शेखावॉटी के गौरव व समाजसेवा व राष्ट्रसेवा के पथ के अथक पथिक व मेरे आदर्श सवाई सिंह धमोरा के निधन पर शत शत नमन। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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