ब्रज का इतिहास भाग -2 श्री कृष्णदत्त वाजपेयी ने मथुरा गजेटियर 1911 मे पृष्ठ 106-14 के अनुसार लिखा है की -"अहीर अपना उत्पत्ति स्थान मथुरा को बतलाते है |उनका कहना है की वे कृष्ण के समय मे वृंदावन के ग्रामीण बनिया थे |ज़िनके पास 1000 से अधिक गाये होती थी उनको नन्दवंश कहा जाता था ,ज़िनके पास कम होती थी उनको ग्वालवंश कहा जाता था |मथुरा मे मुख्यत :ग्वालवंश थे |'आगे लिखते है की कृष्ण के साथ संबंध्द जातिया मथुरा की भाषा और संस्कृती से विशेष संबंध रखती है ,उन जातियो मे अहीर -आभीर भी आते है | पौराणिक साहित्य मे इनकी मिश्रित उत्पत्ति बताई गई है |अहीरो को वायूपुराण मे मलेच्छ कहा गया है |पंतजली ने उनका संबंध शुद्रो से जोडा है |मनु ने अहीर को ब्रह्मण पिता और अम्बाष्ठ स्त्री से उत्पन्न माना है |अहीर जाती के बारे मे पौराणिक ,एतिहासिक जितने भी वर्णन या उल्लेख मिलते है प्राय: सभी मे स्पष्टत:अहीर जाती यादव ,यदुवंशी से भिन्न जाती है ,इसका प्रत्यक्ष प्रमाण सामाजिक जीवन मे भी हमेशा से मौजुद रहा है की यदुवंशीयो का अहीर जाती से किसी भी प्रकार (रिश्ते ,नाते ,विवाह संबंध ,व्यवहारिक चाल चलन )का कोई भी सामाजिक व्यवहारिक संबंध नहीं रहा है |प्राचीन काल से ही सामाजिक जीवन दोनो का भिन्न रहा है
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श्री कृष्ण मेघाडम्बर छत्र जेसलमेर में सुरक्षित हे |
एक और तो अहीर अपनी उत्पत्ति यदुवंश जैसे क्षत्रिय राजवंश से जोड रहे है --यदुवंशी राजा आहुक से उत्पन्न है ,यदुवंशी राजा देवमीढ की दुसरी पत्नी वैश्यवर्णा से उत्पन्न है ,कृष्ण वंश मे उत्पन्न है आदी |जबकी ये बात सार्वभौमिक सत्य है की कृष्ण के पिता वृष्णीवंशी (यदुवंश की शाखा )वासुदेव थे तथा माता अंधकवंशी (यदुवंश की शाखा )देवकी थी ,इस तथ्य को प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं है ,तो फिर ये आभीर जाती से उत्पन्न कहा से और कब से हुए ?क्या ये आहुक ,देवमीढ ,कृष्ण आदी जो यदुवंशी क्षत्रिय थे ,ये भी आभीर थे ?होने चाहिए |तो मे कहना चाहूँगा की एतिहासिक पौराणिक तथ्य को बिना शोध के बिना सोचे विचारे नहीं लिखना चाहिए |तथ्यहीन अप्रमाणिक उल्टा सिधा लिखने से वास्तविक इतिहास बदल नहीं जाता और न किसी दुसरे के इतिहास को चुराने से अपना बन जाता है | कोई भी इतिहासकार यह निश्चित नहीं कर सकता है की अहीर (वर्तमान छद्म यादव )यदुवंश से उत्पन्न है सभी ने अनुमानत: विवरण लिखा है ,क्योकि अहीर शब्द केवल कृष्ण काल से ही आया है लेकिन इनकी उत्पत्ति का प्रामाणिक और विश्वसनिय इतिहास उस काल मे भी नहीं मिलता है
ब्रज का इतिहास भाग -2 श्री कृष्णदत्त वाजपेयी